स्नेह में भी साधना, ऋण में उऋण, आरोह में समारोह, चैन में नैन और नैन में बैन, प्यार में ज्वार और ज्वार में बयार, हर वय में लय, चँचलता में सुधि, अनगिनगुन वैविध्य का कोषागार, प्राण पूजन की निरापद धारा, निज़ाम का निबाह, तम्कीन का तर्जुमा, अदबआरा, रम्ज़ आगाह और दल्क़पोश शाह।